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Romantic Shayari हमने खुद में पिरोया है तुम्हे एक ताबीज की तरह अगर हम टूट गये तो बिखर तुम भी जाओ गे -------------------------------------------------------- सुना है आज बिक रहा है इश्क़ बाज़ार में जाओ उस इश्क़ फरामोश से पूछो वफ़ा भी साथ देता है क्या। --------------------------------------------------------- शर्म अदा झिझक परेशानी नाज़ से काम क्यों नहीं लेती "आप वो जी मगर" ये सब क्या है तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेती ----------------------------------------------------------- छत टपकती है उसके कच्चे घर की वो किसान फिर भी बारिश की दुआ करता है ---------------------------------------------------------- वो मेरी ग़ज़ल पढ़ कर पहेलु बदल के बोले कोई इससे कलम छीने ये किसीकी जान लेलेगा ---------------------------------------------------------- इस बार की सर्दियों में ऐसा न होने पाए चढ़ती रहें चादरें मज़ार पर और बाहर बैठा फ़क़ीर ठंड से मर जाए --------------------------------------------------------- चमका ना करो यूँ जुगनू की तरह किसी दिन हाथों में छुपा कर ले जाऊं गा नहीं तो ---------------------------------------------------------- अगर देखनी है क़यामत तो चले आओ हमारी महफ़िल में सुना है आज महफ़िल में वो बेनक़ाब आ रहे हैं ----------------------------------------------------------- जब भी टूट कर बिखरता हूँ मैं दुगना होकर निखरता हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हो जो मुमकिन तो अपना बना लो तुम मेरी तन्हाई गवाह हैमेरा अपना कोई नहीं ---------------------------------------------------------- जिनके आँगन में अमीरी के शज़र (पेड़ ) लगते हैं उनके हर ऐब ज़माने को हुनर लगते हैं ---------------------------------------------------------- मुझे उस जगह से भी मोहब्बत हो जाती है… जहाँ बैठ कर मैं एक बार उसे सोच लेता हूँ ------------------------------------------------------------- हम जा रहे हैं वहां जहाँ दिल की क़दर हो बैठे रहो तुम अपनी अदाएं लिए हुए ------------------------------------------------------------- कोशिश के बावजूद भी जो पूरी न हो सके हाँ तेरा नाम भीं उन्हीं ख्वाइशों में से है वह समझता है शराफ़त को ऊन का कुर्ता जब कड़ी धूप हो उसको उतार आता है -------------------------------------------------- मालूम हमें भी है बहुत से तेरे किस्से पर बात तेरी हमसे उछाली नहीँ जाती -------------------------------------------------- छोड़ो बिखरने देते हैं जिन्दगी को आखिर समेटने की भी हद होती है --------------------------------------------------- फिर से हर बूँद में उसकी याद की लज़्ज़त ला कर बारिशे आग लगाने का हुनर लायी हैं -------------------------------------------------- आतिश-ए-रंग-ए-हिना से मछलियां जलने लगी तुम ने धोये जो दरिया के किनारे हाथ पाँव अपने ---------------------------------------------------- हमने तो नमाजे पढी है अक्सर गंगा तेरे पानी से वजू कर कर ---------------------------------------------------- मैखाने लाख बन्द करे जमाने वाले, शहर में कम नहीं नजरो से पिलाने वाले --------------------------------------------------- वो कहने लगी, नकाब में भी पहचान लेते हो हजारों के बीच ? मै ने मुस्करा के कहा, तेरी आँखों से ही शुरू हुआ था "इश्क", हज़ारों के बीच --------------------------------------------------- इश्क़ पर ज़ोर नहीं ,है ये वो आतिश ग़ालिब के लगाये न लगे ,बुझाए न बुझे ---------------------------------------------------- रहता हूँ जिस जंमीं पर वही ओढ़ लूंगा अंजाम तक पहुँचूँ गा मैं अंजाम से पहले --------------------------------------------------- सामने बैठ के जो दिल चुराए कोई ऐसे चोर का पता खाक लगाये कोई -------------------------------------------------- होंठ मिला दिए उसने मेरे होंठो से यह कह कर अगर शराब छोड़ दोंगे तो ये जाम रोज मिलेगा --------------------------------------------------- हमदर्दियाँ जनाब मुझे काटती हैं अब यूँ खामखाँ मिजाज ना पूछा करे कोई --------------------------------------------------- तेरी यादेंकांच के टुकड़े और मेरा दिल नंगे पाँव --------------------------------------------------- सौ बार मरना चाहा उसकी निगाहों में डूब कर, वो निगाहें झुका लेती है हमें मरने नहीं देती --------------------------------------------------- मोबाइल चलाना जिसे सिखा रहा हूँ मैं, उसने मुझे दुनिया मे चलना सिखाया था --------------------------------------------------- उसने हमारे ज़ख्मो का कुछ यूँ किया इलाज़ । मरहम भी लगाया तो काटों कि नोक से , ---------------------------------------------------- यहाँ लिबास की कीमत है आदमी की नहीं, मुझे गिलास बड़ा दे, शराब कम कर दे ----------------------------------------------------- अक्ल आई थी मशवरा देने, इश्क़ ने मुस्कुरा के लौटा दिया ------------------------------------------------------- गुज़र गया दिन अपनी तमाम रौनके लेकर ज़िन्दगी ने वफ़ा की तो कल फिर सिलसिले होंगे ------------------------------------------------------ सो गये बिस्तर पे वो चेहरे पे दुपट्टा डालकर मेरे कमरे की अचानक रौशनी कम हो गयी ----------------------------------------------------- तिनका तिनका जोड़ कर बनाया था बसेरा उसने, फिर भी कमबख्त लोग कहते है खाली है झोपड़ा उसका -------------------------------------------------- सलवटें देख चेहरे पे हैरान क्यूँ हो ? ज़िंदगी ने मुझे तुमसे कुछ ज़्यादा पहना है -------------------------------------------------- सबके कर्जे चुका दुंगा मरने से पहले ऐ जिंदगी बता तेरी कीमत क्या है ----------------------------------------------------- वजह पूछोगी तो उम्र गुजर जाएगी, कहा ना कि अच्छी लगती हो तो बस अच्छी लगती हो ----------------------------------------------------- जिनसे खेलने की उम्र है उसकी वो उन खिलोनो को सड़क पर बेचता है a हमने तुम्हें चाहा है, हजारों में कहेंगे ---------------------------------------------------- सनम है अगर मेरा तो मेरे नाज़ भी उठा रुठुंगा मैं हज़ार बार तेरी गरज तू मना ---------------------------------------------------- मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकिन है कोई मुझे छोड तो सकता है मगर भुला नही सकता ---------------------------------------------------- उस ने उलझा दिया दुनिया में मुझे वरना इक और क़लंदर होता अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी आँख में आंसू ! अभी छेड़ी कहाँ है, दास्ताने - जिन्दगी मैंने !! --------------------------------------------------------- अपना गम किस तरह से बयान करूँ ! आग लग जायेगी इस जमाने में !! --------------------------------------------------------- ख़्वाबों में भी आना तेरा अब कम हो गया ! नफरतें तेरी शायद, ज़रा जोरों पर हैं !! -------------------------------------------------------- एक शरारा भी आशियाँ को जला देता है ! नादां है तू शोलों को हवा देता है !! -------------------------------------------------------- बड़ी बारीकी से तोडा है उसने दिल का हर कोना ! सच कहुँ मुझे तो उसके हुनर पे नाज़ होता हैं !! -------------------------------------------------------- जनाब मत पूछिए हद हमारी सनकीपन की ! हम आईन कुचल कर समझते है आसमां कुचल दिया !! --------------------------------------------------------- तजुर्बे ने एक बात सिखाई है ! एक नया दर्द ही !! पुराने दर्द की दवाई है...!!! -------------------------------------------------------- मतलबी दुनिया के लोग खड़े है,हाथों में पत्थर लेकर ! मैं कहाँ तक भागूं ,शीशे का मुकद्दर लेकर !! -------------------------------------------------------- लहू की बारिश से भीग चुका है हमारा वतन ! मैं किस जुबाँ से कहूँ जश्न -ए -आज़ादी मुबारक हो !!…